वर्तमान समय में लाखों ऐसे छात्र हैं जिनका सपना इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाना है। खासतौर पर छात्र ऐसे इंजीनियरिंग कोर्स की तलाश में हैं जो कम समय में उन्हें मैकेनिकल इंजीनियर बना दे। कम समय में मैकेनिक बनने के लिए Diploma in Mechanical Engineering कोर्स बढ़िया विकल्प है। जो छात्र मशीनरी उपकरण, यांत्रिक प्रणालियों के डिजाइन, इंजन, मोटर, प्रोडक्शन तकनीक और मैकेनिकल डिजाइनिंग जैसी महत्वपूर्ण चीजों का व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान कम समय में प्राप्त करना चाहते हैं, उन छात्रों के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा एक बेहतर कोर्स है।
यदि आप भी वाहनों के उपकरणों, वाहनों के रखरखाव, टेक्नीशियन, मशीनों और अन्य मैकेनिकल संबंधी क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। क्योंकि आज इस लेख में हम मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। आप आज इस लेख में जानेंगे कि डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स क्या होता है और इस कोर्स को करने के लिए फीस, प्रवेश प्रक्रिया, आवेदन प्रक्रिया, जरूरी कौशल और सिलेबस क्या है।
कार्यक्रम | डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग |
अवधि | 3 वर्ष (6 सेमेस्टर) |
योग्यता | 10वीं / 12वीं उत्तीर्ण |
प्रवेश प्रक्रिया | प्रवेश परीक्षा या मेरिट आधारित |
करियर विकल्प | रेलवे, टेक्निशियन, जूनियर इंजीनियर, BHEL, DRDO, ISRO, ऑटोमोबाइल कंपनियाँ |
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा क्या है? (Diploma in Mechanical Engineering in Hindi)
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा एक तीन वर्ष का डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स है जिसकी सीटें पॉलिटेक्निक और मैनेजमेंट संस्थानों द्वारा आवंटित की जाती हैं। डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स उन छात्रों के लिए होता है, जो कम समय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखते हैं, सफलपूर्वक इस कोर्स को पूरा करने के बाद जूनियर मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में करियर विकसित किया जा सकता है।
यह कोर्स पूरी तरह से तकनीकी शिक्षण से भरा हुआ है, इसका मुख्य विषयनिष्ठ छात्रों को मशीनों के उपकरणों, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों, मशीन डिजाइन, थर्मोडायनामिक्स, मैटेरियल साइंस, ऑटोमोबाइल, डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और वाहनों के इंजन की समझ आदि का प्रशंसात्मक ज्ञान देना है।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग अवधि
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा तीन वर्ष के लिए होता है, हालांकि आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) से किसी मान्यता प्राप्त ट्रेड में उत्तीर्ण करने के बाद यह कोर्स केवल दो वर्ष के लिए होता है। तीन वर्षीय कोर्स में कुल छः सेमेस्टर और वहीं दो वर्ष के लिए चार सेमेस्टर होते हैं। इस समय अवधि के दौरान छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र से संबंधित उन सभी चीजों ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिसके बाद उनके करियर के विभिन्न अवसर प्राप्त हो।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्यों चुनें?
मैकेनिकल डिप्लोमा कोर्स चुनने का कोई एक कारण नहीं है, बल्कि इसके अनेक कारण हो सकते हैं। किसी छात्र द्वारा मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स को चुनने के निम्न फायदे हो सकते हैं। नीचे कुछ विशिष्ट फायदों को दर्शया गया है।
- कम समय में इंजीनियरिंग कोर्स: जहां बीई/बीटेक/बीएससी आईटी कोर्स की अवधि चार वर्ष की होती हैं, वहीं मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स केवल तीन वर्ष के लिए होता है। इस कोर्स को चुनने का एक बड़ा कारण इसकी समय अवधि है जो छात्र कम समय में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, वो इस डिप्लोमा कोर्स चुन सकते हैं।
- बेहतर करियर विकल्प: मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स करने के बाद कई क्षेत्रों में करियर के अवसर उपलब्ध हैं। आप रेलवे (लोको पायलट, जूनियर इंजीनियर), BHEL, ONGC, DRDO, ISRO, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (मारुति, टाटा, हुंडई), मैन्युफैक्चरिंग कंपनियाँ आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
- मैकेनिक की बढ़ती मांग: ऑटोमोबाइल अध्यवसाय मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर्स में एक अनुभवी मैकेनिक की मांग तेजी से बढ़ रही है। मैकेनिकल डिप्लोमा कोर्स बीटेक मैकेनिकल के मुकाबले व्यावहारिक रूप से छात्रों को ज्ञान प्रदान करने के प्रयास करता है। मैकेनिक के क्षेत्र डिप्लोमा मैकेनिकल सर्टिफिकेट प्राप्त छात्रों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- स्वरोजगार की संभावना: ऑटोमोबाइल क्षेत्र बड़ी तेजी के साथ प्रौढ़ता कर रहा है। इस कारण मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स करने के बाद जरूरी नहीं की केवल नौकरी पाने की उम्मीद तक ही सीमित रहा जाए, बल्कि मैकेनिकल कौशलों को विकसित कर खुद का व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है। डिप्लोमा मैकेनिकल कोर्स एक छात्र को इतना ज्ञान प्रदान कर ही देता है, कि नौकरी न मिलने कारण स्वरोजगार की संभावना जरूर होती है।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग पात्रता मानदंड
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा में प्रवेश लेने के लिए उन सभी मानदंडों को पूर्ण करना अनिवार्य है जो संस्थानों द्वारा तय किया गया है। इस कोर्स से संबंधित बेसिक योग्यताएँ और जरूरी शर्तें नीचे विस्तार से दी गई हैं।
शैक्षणिक योग्यता:
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड 10वीं (मैट्रिक) उत्तीर्ण हो।
- 10वीं में गणित और विज्ञान विषय होना अनिवार्य है।
- कुछ संस्थानों में केवल 12वीं उत्तीर्ण (PCM – भौतिकी, रासायनिक, गणित) के बाद ही प्रवेश की अनुमति देते हैं।
- जो उम्मीदवार आईटीआई (ITI) उत्तीर्ण करने के बाद आवेदन करते हैं, उन्हें दूसरे वर्ष में लेटरल एंट्री प्रवेश मिलता है।
न्यूनतम अंक:
- उम्मीदवार के 10वीं / 12वीं में कम से कम 35% – 50% अंक होना अनिवार्य है।
- अंकों के मानदंड में राज्यों और संस्थानों के अनुसार बदलाव ला सकता है।
- आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC/PwD) के उम्मीदवारों को अंको में छूट प्रदान की जाती है।
आयु सीमा:
- मैकेनिकल डिप्लोमा में प्रवेश के लिए अधिकतर संस्थानों में न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित है।
- इसके अधिकतम कोई आयु निर्धारित नहीं है, हालांकि राज्यों और संस्थानों के अनुसार अधिकतम आयु सीमा में बदलाव हो सकता है।
- आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC) के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट मिल सकती है।
प्रवेश प्रक्रिया:
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश पॉलिटेक्निक एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से होता है।
- एंट्रेंस एग्जाम विभिन्न राज्यों द्वारा आयोजित किया जाता है।
- एंट्रेंस एग्जाम में बेहतर रैंक लाने वाले उम्मीदवार को शीर्ष पॉलिटेक्निक संस्थानों में पहले प्रवेश मिलता है।
- कुछ संस्थानों में 12वीं के अंको के आधार पर मेरिट द्वारा प्रवेश मिलता है।
- ऐसे उम्मीदवार जो आईटीआई के बाद प्रवेश लेते हैं उन्हें पॉलिटेक्निक संस्थान द्वारा मैकेनिकल डिप्लोमा में दूसरे वर्ष में प्रवेश मिल जाता है।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण कौशल
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा में प्रवेश के लिए केवल शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य नहीं है, बल्कि इस डिप्लोमा कोर्स से संबंधित फील्ड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण कौशलों का विकास होना भी जरूरी है। नीचे दी गई कौशलों की सूची मैकेनिकल डिप्लोमा के लिए बेहद जरूरी है।
- गणित की अच्छी समझ
- तकनीकी सोच और तार्किक क्षमता
- संचार कौशल
- समय प्रबंधन कौशल
- सेफ्टी अवेयरनेस
- समूह में कार्य करने की क्षमता
- समस्या समाधान कौशल
- बेसिल स्तर का कंप्यूटर ज्ञान
- मशीनों और औजारों में रुचि
- भौतिकी (Physics) की मूल बातें समझना
- CAD सॉफ्टवेयर सीखने की क्षमता
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा का पाठ्यक्रम सभी राज्यों के पॉलिटेक्निक संस्थानों और गैर पॉलिटेक्निक संस्थानों में लगभग एक समान ही होता है। इस डिप्लोमा कोर्स के पाठ्यक्रम में संस्थानों के अनुसार थोड़ा-बहुत बदलाव भी हो सकते हैं। पाठ्यक्रम दो वर्षीय मैकेनिकल डिप्लोमा और तीन वर्षीय मैकेनिकल डिप्लोमा के अनुसार विभाजित होता है। हालांकि फर्क केवल इतना होता है कि दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में पहले के दो सेमेस्टरों का पाठ्यक्रम नहीं होता है। नीचे दिए गए विषयों की सूची लगभग सभी संस्थानों के मैकेनिकल डिप्लोमा में लागु होते हैं।
- इंजीनियरिंग गणित – भाग 1 और 2
- इंजीनियरिंग रसायन विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन-1
- इंजीनियरिंग भौतिकी
- बेसिक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स
- कंप्यूटर का परिचय
- संप्रेषण कौशल
- प्रयोगशालाएँ
- मशीनरी फंडामेंटल्स
- इंजीनियरिंग ग्राफिक्स
- इंजीनियरिंग रसायन विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन-2
- कार्यशाला प्रौद्योगिकी
- थर्मोडायनामिक्स
- तापीय इंजीनियरिंग – भाग 1
- विनिर्माण प्रक्रियाएँ – भाग 1
- विद्युत मशीनें
- सीएनसी मशीनों का परिचय
- तापीय इंजीनियरिंग – भाग 2
- विनिर्माण प्रक्रिया – भाग 2
- औजार इंजीनियरिंग
- मापन और मीट्रोलॉजी
- तरल यांत्रिकी और हाइड्रोलिक मशीनें
- रोबोटिक्स बेसिक्स
- कंप्रिहेंसिव वाइवा
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग प्रमुख संस्थान
भारत में मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स करने के लिए पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रवेश लेना होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं की इस डिप्लोमा कोर्स के लिए पॉलिटेक्निक संस्थान में प्रवेश लिया जाए, कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से भी मैकेनिकल डिप्लोमा कर सकते है। नीच कुछ प्रमुख संस्थानों की सूची दी गई है।
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, लखनऊ
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, कानपुर
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, रांची
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, बाँदा
- मीनाक्षी कृष्णन पॉलिटेक्निक कॉलेज, चेन्नई
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, गाजियाबाद
- सेंट्रल पॉलिटेक्निक कॉलेज, तिरुवनंतपुरम
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, जबलपुर
- श्री गोविंदराम सेकसरिया पॉलिटेक्निक, इंदौर
- श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय (SRMU)
- एडीआरएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, अलीगढ़
- एमिटी यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा
- मिलेनियम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एमआईटीएस), भोपाल
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, पटना
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, मुंबई
- बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिंदरी
- सेंट्रल पॉलिटेक्निक, जमशेदपुर
- नेताजी सुभाष पॉलिटेक्निक, कोलकाता
- राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कोट्टायम
- गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, कोटा
- L.D. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, अहमदाबाद
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), पंजाब
- जेएसपी पॉलिटेक्निक, नोएडा
- एकेएम पॉलिटेक्निक कॉलेज, कोल्लम
- अत्यम इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना
- सेंट्रल पॉलिटेक्निक कॉलेज, चेन्नई
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाएं
भारत में मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा के लिए हर वर्ष प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। यह परीक्षाएं विभिन्न राज्यों द्वारा आयोजित की जाती हैं जिनमे लाखों की संख्या में छात्र आवेदन करते हैं। नीच कुछ प्रमुख परीक्षाओं की सूची दी गई है।
- JEECUP – Joint Entrance Examination Council, Uttar Pradesh
- DCECE – Diploma Certificate Entrance Competitive Examination
- PECE (JCECEB) – Polytechnic Entrance Competitive Examination, Jharkhand Combined Entrance
- TS POLYCET – Telangana State Polytechnic Common Entrance Test
- Punjab JET – Punjab Joint Entrance Test
- APJEE – Arunachal Pradesh Joint Entrance Examination
- Assam PAT – Assam Polytechnic Admission Test
- HP PAT – Himachal Pradesh Polytechnic Admission Test
- ACPDC Diploma Admission – Admission Committee for Professional Diploma Courses
- JEXPO – Joint Entrance Examination for Polytechnics West Bengal
- AMU Polytechnic Test
- SRMJEEE – SRM Joint Engineering Entrance Exam (Diploma)
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग आवेदन प्रक्रिया
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा में आवेदन प्रक्रिया राज्यों और विभिन्न संस्थानों पर निर्भर करती है। हलांकि आवेदन की रुपरेखा लगभग सभी जगह एक जैसी ही होती है। नीचे कुछ स्टेप्स में बताया गया है कि इस डिप्लोमा कोर्स में आवेदन कैसे कर सकते हैं।
पात्रता की जांच:
- जिस राज्य में या जिस विश्वविद्यालय में मैकेनिकल डिप्लोमा के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वहां लागु हो रही योग्यता की जांच करें।
- अधिकांश संस्थानों में 10वीं (गणित, विज्ञान वर्ग) उत्तीर्ण निर्धारित होता है।
आवेदन पत्र भरें:
- जिस राज्य से आवेदन करना चाहते हैं, उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- आवेदन फॉर्म खोलें और पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें।
- पंजीकरण करने के बाद पूर्ण पत्र खोलें और सभी विशेष जानकारियों को भरें।
- पत्र भरते समय अपना नाम, माता-पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, शैक्षणिक योग्यता, जन्मतिथि और आधार नंबर आदि सब बिल्कुल ध्यान से भरें।
- पासपोर्ट आकर फोटो और हस्ताक्षर स्कैन करके अपलोड करें।
- आवेदन शुल्क जमा करें। शुल्क की राशि ₹200–₹500 तक होती है।
- अंतिम चरण में फॉर्म जमा करें और प्रिंट पीडीएफ प्राप्त करें।
प्रवेश पत्र डाउनलोड:
- परीक्षा तिथि से लगभग 4-5 दिन पहले प्रवेश पत्र जारी कर दिया जाता है।
- प्रवेश पत्र जारी होते ही डाउनलोड करें और परीक्षा का समय, परीक्षा केंद्र, तिथि को समझें।
प्रवेश परीक्षा दें:
- जारी तिथि पर परीक्षा केंद्र जाकर परीक्षा दें।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा प्रवेश परीक्षा में गणित, रसायन विज्ञान और भौतिकी के प्रश्न आते हैं।
- प्रश्न बहुविकल्पीय MCQ होते हैं।
परिणाम की घोषणा:
- परीक्षा के लगभग 2-4 सप्ताह के बाद परिणाम जारी किया जाता है।
- परिणाम में अपने नाम और प्राप्त रैंक की जांच करें।
- यदि सफलतापूर्वक प्रवेश परीक्षा में बेहतर रैंक है, तो अब आप कॉन्सलिंग प्रक्रिया पूरी करें।
काउंसलिंग प्रक्रिया:
- कॉउंसलिंग प्रक्रिया में छात्रों को कोर्स का प्रकार और संस्थान का चयन करना होता है।
- कोर्स में आप मैकेनिकल इंजीनियरिंग चुनें।
- सीट आवंटित होने के बाद दस्तावेज सत्यापन और कोर्स शुल्क की प्रक्रिया होती है।
दस्तावेज सत्यापन और संस्थान में दाखिला:
- छात्रों को दस्तावेज सत्यापन के लिए कुछ इस प्रकार के दस्तावेजों की जरूरत होती है।
- 10वीं की मार्कशीट व प्रमाणपत्र
- प्रवेश परीक्षा स्कोरकार्ड
- जाति प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)
- फीस रसीद
- निवास प्रमाणपत्र
- आय प्रमाणपत्र (यदि लागु हो)
- ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC)
- मेडिकल सर्टिफिकेट (कुछ संस्थानों में)
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक (यदि लागु हो)
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग फीस
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा की फीस राज्य, संस्थान की रैंकिंग, विभिन्न प्रकार की सुविधाएं और छात्रावास जैसे प्रकरणों पर आधारित होती है। नीचे दी गई संरचना में कोर्स और छात्रावास की अनुमानित फीस की जानकारी दी गई है। असल फीस की जानकारी आप संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट या संस्थान में निजी रूप से जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान का प्रकार | वार्षिक फीस अनुमानित (₹) | 3 वर्ष की कुल फीस | अनुमानित हॉस्टल फीस (₹/वर्ष) |
सरकारी संस्थान | ₹5,000 – ₹15,000 | ₹15,000 – ₹45,000 | ₹10,000 – ₹25,000 |
सरकारी + निजी (अनुदानित) | ₹15,000 – ₹30,000 | ₹45,000 – ₹90,000 | ₹15,000 – ₹30,000 |
प्राइवेट कॉलेज/यूनिवर्सिटी | ₹35,000 – ₹80,000 | ₹1.05 लाख – ₹2.4 लाख | ₹25,000 – ₹50,000 |
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग बाद करियर विकल्प
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा करने के बाद सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में कई करियर अवसर प्राप्त हो सकते हैं। नीचे कुछ प्रतिष्ठित सरकारी और निजी क्षेत्रों में मिलने वाले अवसरों की सूची दी गई है।
तकनीकी नौकरियाँ:
- फिटर / टर्नर
- CAD डिजाइनर
- मशीन टूल टेक्नीशियन
- प्रोडक्शन सुपरवाइज़र
- क्वालिटी कंट्रोल असिस्टेंट
सरकारी नौकरी के अवसर:
- रेलवे (RRB जूनियर इंजीनियर)
- राज्य लोक सेवा आयोग / PWD
- DRDO
- BHEL
- NTPC
- भारतीय सेना (इंडियन आर्मी टेक्निकल पोस्ट)
इसे भी पढ़ें: कंप्यूटर साइंस डिप्लोमा कोर्स क्या है? पूरी जानकारी हिन्दी में
निजी क्षेत्र में करियर विकल्प:
- मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री (मारुति, टाटा मोटर्स, हुंडई, हीरो)
- कोर मैकेनिकल जॉब्स
- रोबोटिक्स और ऑटोमेशन
- स्टील और थर्मल प्लांट्स
उच्च शिक्षा के विकल्प:
- Advanced Diploma in Automobile Engineering
- B.Tech / BE (Lateral Entry)
- MBA
स्वरोजगार के अवसर:
- मशीन वर्कशॉप खोलना
- इंडस्ट्रियल मेंटेनेंस सर्विसेज
- CAD फ्रीलांसर बनना
- CNC मशीनिंग सेंटर
- ऑटोमोबाइल रिपेयर बिजनेस
निष्कर्ष:
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग उन छात्रों के लिए एक बेहतरीन कोर्स विकल्प है जो कम समय में तकनीकी ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जल्दी करियर अवसर प्राप्त करना चाहते हैं। यह कोर्स न केवल छात्रों को डिप्लोमा कोर्स प्रमाणपत्र देता है, बल्कि छात्रों को मशीनों की तकनीकी को गहराई से समझने व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान करता है। इस डिप्लोमा कोर्स के बाद सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में बेहतर करियर विकल्प उपलब्ध है। बाकी आशा करते हैं कि इस लेख में मैकेनिकल डिप्लोमा कोर्स की दी गई जानकारी आपके लिए जरूर उपयोगी रही होगी। यदि आप कम समय में भविष्य के लिए सुरक्षित और स्थिर करियर बनाना चाहते हैं, तो मैकेनिकल इंजीनियरिग डिप्लोमा एक बेहतर कोर्स है।
कुछ संबंधित प्रश्न: FAQs
मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा में कौन-कौन से सब्जेक्ट होते हैं?
मैकेनिकल डिप्लोमा कोर्स में मुख्यतौर पर यांत्रिकी, ऊष्मागतिकी, मशीन डिजाइन, द्रव यांत्रिकी, विनिर्माण प्रक्रियाएं और ऑटोमोबाइल संबंधित कौशल जैसे विषय शामिल होते हैं।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कितने साल का होता है?
जो छात्र 10वीं के बाद मैकेनिकल डिप्लोमा में प्रवेश लेते हैं उनके लिए तीन वर्ष और आईटीआई के बाद प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए दो वर्ष का होता है।
डिप्लोमा मैकेनिकल इंजीनियर का क्या काम होता है?
मैकेनिकल डिप्लोमा में इंजीनियरिंग करने के बाद ऑटोमोबाइल क्षेत्र से संबंधित कार्य जैसे CAD डिजाइनर, प्रोडक्शन सुपरवाइज़र, जूनियर इंजीनियर, DRDO, NTPC और लोकोपायलट आदि करियर विकल्प उपलब्ध हैं।
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